4. “साबरमती के संत तूने केलेली कमाल” –
“साबरमती के संत तूने” हे गीत एक गाणे की शैली मध्ये महात्मा गांधी आणि त्यांचे संघर्ष के दिवस का स्मरण कराता है. कवि प्रदीपचे शब्द हे गाणे के से हम गांधी जी के महानता आणि त्यांच्या आदर्शांचे समर्थन करतात, आणि आम्हाला याद दिला जातो की सत्यग्रह माध्यम से किसी भी प्रकारचा निषेध केला जाऊ शकतो. हे गीत का सुनना आम्हाला गर्वित आणि मार्गदर्शन करता है कि आम्हाला सदैव अहिंसा आणि सत्याचा मार्ग चालना पाहिजे, जैसे कि महात्मा गांधी.
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
{दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने केली कमाल
आंधी में भी जलती रही गांधी तेरी मशाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
दे दी आम आजादी…
धरती पे लढती तूने अजबपणे की लढाई
दागी न कळ तोंफ न बंदूक चलाई
युद्ध के किले पर भी न की तूने चढाई
वाह रे फकीर खुब करामात दृश्य.
चुटकी में युद्धनौकांचा निकाल
{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
शतरंज बिछा कर यह बैठा था ज़माना
लगता था की बहुत है फिरंगी को हराना
टक्कर थी जुनी ज़ोर की नाशिकही होती
पर तू भी था बापू मोठा उस्ताद पुराना
मारा वो कस के दांव कि उल्टी सर्व चालते
{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
जब तेरा बिगुल बजा लिंग चल पडे
मजदूर चले थे आणि किसान चल पड़े
हिन्दू आणि मुस्लिम सिख पठान चल पडे
कदमों पेरे कोटि प्राण चल पडे
फुलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल
{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
मन में थी अहिंसा की लगन तन पे लंगोटी
लाखों में घूमता साठी सत्याची सोंटी
वैसे तो पाहत होती हस्ती तेरी छोटी
पण तुला झुकती थी हिमालयाची भीट
दुनिया में तू बेजोड़ था इन्सान बेमिसाल
{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली
जग में कोई जिया है तो बापू तू ही जिया
तू ने वतन की राहाते सबकुछ लुटाए
मांगा न कोई तख्त न तो ताज भी लिया
अमृत दिया सर्व को मगर खुद जेहेर पिया
जिस दिन तेरी चिता जली रोया था महाकाल
{साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल}
दे दी हमा आजादी बिना खड़ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कमाल केली